शब-ए-महफ़िल में
सिर्फ़ अश्क हमारा था
जिससे दामन छुडाने चले
वो साया ही हमारा था
सबनें तीर चलाये
बेजां सा दिल हमारा था
हम जफ़ा पे न आये
यही कसूर हमारा था
-साधना
Friday, October 23, 2009
दिल ने मजबूर किया
दिल ने मजबूर किया, वरना
आपके दिलपे दस्तक न देते
शनासाई का फ़साना भी बनता
काश, चिराग-ए-मुहब्बत जला देते
कुछ बेबसी थी, कुछ वफ़ा-ए-उल्फ़त
जलवागिरी दिखाते तो काबिल-ए-गौर होते
दर्द को हसीं में छुपाकर न जिते
गर ख्वाब को तसब में बदल देते
-साधना
आपके दिलपे दस्तक न देते
शनासाई का फ़साना भी बनता
काश, चिराग-ए-मुहब्बत जला देते
कुछ बेबसी थी, कुछ वफ़ा-ए-उल्फ़त
जलवागिरी दिखाते तो काबिल-ए-गौर होते
दर्द को हसीं में छुपाकर न जिते
गर ख्वाब को तसब में बदल देते
-साधना
शेर-ओ-शायरी
मेरे प्यारे दोस्तों
मुझे बचपनसे ही शायरी पढने का और लिखने का शौक था ।
मेरे संग्रह में जो अच्छी शेर-ओ-शायरी है वो मैं आप लोगोंसे बांटना चाहता हूं ।
शायरीके जाने और अनजाने मेरे सभी दोस्तोंके खिदमत में कुछ शायरी पेश कर रहा हूं ।
धन्यवाद
~सागर
पुणे
मुझे बचपनसे ही शायरी पढने का और लिखने का शौक था ।
मेरे संग्रह में जो अच्छी शेर-ओ-शायरी है वो मैं आप लोगोंसे बांटना चाहता हूं ।
शायरीके जाने और अनजाने मेरे सभी दोस्तोंके खिदमत में कुछ शायरी पेश कर रहा हूं ।
धन्यवाद
~सागर
पुणे
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