Friday, October 23, 2009

दिल ने मजबूर किया

दिल ने मजबूर किया, वरना
आपके दिलपे दस्तक न देते

शनासाई का फ़साना भी बनता
काश, चिराग-ए-मुहब्बत जला देते

कुछ बेबसी थी, कुछ वफ़ा-ए-उल्फ़त
जलवागिरी दिखाते तो काबिल-ए-गौर होते

दर्द को हसीं में छुपाकर न जिते
गर ख्वाब को तसब में बदल देते

-साधना

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